ऋणशेषोSग्निशेषश्च व्याधिषेशेषस्थतैव च |
पुनश्च वर्धते यस्मात्तस्माच्छेषं च कारयेत ||
अर्थ - लिये हुए ऋण , जलती हुई आग तथा बीमारी के मामले में कुछ भी शेष रहने पर इन तीनों की पुनः वृद्धि हो जाती है | अतएव ऋण का पूरा भुगतान करना, आग को पूरी तरह बुझाना और बीमारी का पूरी तरह समाप्त होने तक इलाज करना अत्यन्त आवश्यक है |