अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते...

अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते |

अविश्वस्ते विश्वसति मूढचेता नराधमः ||

- विदुर नीति

भावार्थ -   अन्य व्यक्तियों से घृणा करने वाला , ईर्ष्या करने  वाला,
सदा असन्तुष्ट   रहने वाला ,  क्रोधी,  सदैव शङ्का करने  वाला ,
दूसरों पर आश्रित रहने वाला, ऐसे छः प्रकार के व्यक्ति  नित्य (सदैव)
दुःखी  रहते हैं  |