ज्ञानमुद्रा की विधि

संस्कृत में ज्ञान का मतलब होता हैं - बुद्धिमत्ता। ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से अभ्यासक की बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है और इसीलिए इसे अंग्रजी में मुद्रा ऑफ़ नॉलेज  भी कहा जाता हैं।

  1. पहले एक साफ सुथरी और बराबर (flat) जगह पर एक चटाई या योगा मैट बिछा ले।
  2. अब पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
  3. अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ होनी चाहिए।
  4. अब तर्जनी उंगली (अंगूठे के साथ वाली) को गोलाकार मोडकर अंगूठे के अग्रभाग (सिरे) को स्पर्श करना हैं। 
  5. अन्य तीनों उंगलियों को सीधा रखना हैं।
  6. यह ज्ञान मुद्रा दोनों हाथो से कर सकते हैं।
  7. आँखे बंद कर नियमित श्वसन करना हैं।
  8. साथ में ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। मन से सारे विचार निकालकर मन को केवल ॐ पर केन्द्रित करना हैं।
  9. दिनभर में कम से कम 30 मिनिट से 45 मिनिट करने पर लाभ मिलता हैं।

लाभ –

  1. ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से सारे मानसिक विकार जैसे क्रोध, भय, शोक, ईर्ष्या इत्यादि से छुटकारा मिलता हैं।
  2. बुद्धिमत्ता और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती हैं।
  3. एकाग्रता बढती हैं।
  4. शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढती हैं।
  5. आत्मज्ञान की प्राप्ति होती हैं।
  6. मन को शांति प्राप्त होती हैं।
  7. अनिद्रा, सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़ित लोगो के लिए उपयोगी मुद्रा हैं।