बिल्व पत्र कब तोड़ें, क्या है मंत्र, जानिए इसे चढ़ाने के शुभ फल

बिल्व पत्र कब तोड़ें, क्या है मंत्र, जानिए इसे चढ़ाने के शुभ फल

प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। ऋषियों ने कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना एवं 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान है।

बेल का वृक्ष हमारे यहां संपूर्ण सिद्धियों का आश्रय स्थल है। इस वृक्ष के नीचे स्तोत्र पाठ या जप करने से उसके फल में अनंत गुना की वृद्धि के साथ ही शीघ्र सिद्धि की प्राप्ति होती है। इसके फल की समिधा से लक्ष्मी का आगमन होता है। बिल्वपत्र के सेवन से कर्ण सहित अनेक रोगों का शमन होता है। बिल्व पत्र सभी देवी-देवताओं को अर्पित करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। 'न यजैद् बिल्व पत्रैश्च भास्करं दिवाकरं वृन्तहीने बिल्वपत्रे
समर्पयेत' के अनुसार भगवान सूर्यनारायण को भी पूरी डंडी तोड़कर बिल्वपत्र अर्पित कर सकते हैं।

यदि साधक स्वयं बिल्वपत्र तोड़ें तो उसे ऋषि आचारेन्दु के द्वारा बताए इस मंत्र का जप करना चाहिए-

'अमृतोद्भव श्री वृक्ष महादेवत्रिय सदा।
गृहणामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्।।'